प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के हंडिया थाना क्षेत्र में हुई हत्या के 41 साल पुराने केस में आरोपी को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है। हाईकोर्ट  ने अभियोजन पक्ष के गवाहों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पूरा केस इन गवाहों के बयान पर ही टिका है, लेकिन वे विश्वसनीयता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस समीर जैन की बेंच ने इस मामले में जरनैल सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। 
कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में कहा है कि घटनास्थल पर मौजूदगी बता रहे गवाह की बहुत सतर्क और करीबी जांच की आवश्यकता होती है और गवाह को घटनास्थल पर अपनी उपस्थिति को साबित करना पड़ता है।
कोर्ट ने इस मामले में पाया कि गवाह नंबर दो की गवाही में आत्मविश्वास की कमी है। उसने कोर्ट को बताया कि वह अपनी पत्नी और भतीजी के साथ बीरापुर जा रहा था। उसने घटना को अपनी आंखों से देखा, लेकिन अभियोजन पक्ष गवाह नंबर दो की पत्नी और भतीजी की गवाही नहीं दिला सका, जिससे कि इस बात की पुष्टि कर सके कि गवाह अब्दुल वाहिद बीरापुर जा रहा था। हत्या का यह मामला 41 साल पुराना है। 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यहां जमींदार शेख मोहम्मद और याची गुलाब के बीच पुरानी रंजिश थी। शेख मोहम्मद ने एक जमीन विवाद में याची गुलाब सहित तीन अन्य के खिलाफ मुकदमा किया था। हंडिया थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, 4 सितंबर 1980 को इसी दीवानी मुकदमें की सुनवाई के बाद जब मोहम्मद अपने घर जा रहा था, तभी गुलाब और उसके तीन साथी राम अवध, कृपाल, ननकू उर्फ नंदू उसे खेत में खींच ले गए और वहां उसकी हत्या कर दी।
इस केस में निचली अदालत ने चारों अभियुक्तों को शेख मोहम्मद की हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। इस सज़ा के खिलाफ याची गुलाब और ननकू उर्फ नंदू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने गवाहों के बयानों को यकीन के काबिल न पाते हुए हुए याची को बरी कर दिया।