मोदी ने गारंटी दी थी ! आज पूरा भी किया !!
पाकिस्तानी ठिकानों पर भारतीय थल सेना के हमलों का विवरण आज (07 मई 2025) राष्ट्रीय मीडिया को कर्नल सोफिया ताजुद्दीन कुरैशी ने दिया तो विश्व को अचरज तो हुआ होगा। आखिर सोफिया ही प्रवक्ता क्यों थीं। ? हालांकि उनके साथ वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं। दोनों की जोड़ी बड़ी अद्भुत रही। सोफिया कुरैश वंश की हैं। इसमें पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब भी जन्मे थे। सोफिया के पति मेजर ताजुद्दीन कुरैशी इन्फेंट्री में अधिकारी हैं। चेन्नई सैनिक अकादमी में प्रशिक्षित हैं। साल 2016 में सोफिया ने 'एक्सरसाइज फोर्स 18' में भारतीय दल का नेतृत्व किया था, जो भारत की ओर से आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था। इस सैन्य अभ्यास में भाग लेने 18 देश के सैन्य दलों में कर्नल सोफिया कुरैशी एकमात्र महिला कमांडर थीं। वडोदरा (गुजरात) में विज्ञान (जैव रसायन) से स्नातकोत्तर डिग्री का चुकी सोफिया के दादा भी भारतीय सेना में थे। कर्नल सोफिया कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत छह सालों तक सेवाएं दी हैं। सोफिया ने साल 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी। मीडिया से वार्ता करते वायुसेना से विंग कमांडर व्योमिका सिंह थीं। वे हेलीकॉप्टर पायलट हैं। विंग कमांडर व्योमिका उच्च जोखिम वाले इलाकों में अनुभव रखने वाली पायलट हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर सहित कुछ सबसे कठिन इलाकों में चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों का संचालन किया है।उन्होंने नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में उनके द्वारा संचालित प्रमुख अभियानों में से एक था। ये अभियान ऊंचाई, कठिन मौसम और दूरदराज के स्थानों पर किए गए थे, जहां जीवन बचाने के लिए हवाई सहायता महत्वपूर्ण है
इन दोनों प्रवक्ताओं का महिला होना एक संदेश था देश और दुनिया को कि पूरा भारत एकजुट है
आज के प्रतिशोधात्मक हमले का नाम नरेंद्र मोदी द्वारा "सिंदूर" रखना भी कम दिलचस्प नहीं है। जब 22 अप्रैल को यह हमला पहलगाम में हुआ था तो कुछ महिलाओं के सिंदूर मिट गए थे। विधवा हो गईं थीं। यही कारण रहा प्रधानमंत्री द्वारा इस पूरे हमले की कार्यवाही का नामकरण किया, ऑपरेशन "सिंदूर"। इस बार के पाकिस्तानी हमले पर तीव्र कार्यवाही इसलिए हुई क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। याद कीजिए (24 दिसंबर 1999) भारत का विमान हाईजैक करके आतंकी कंधार ले गए थे। तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे। भयभीत होकर तीनों आतंकियों को रिहा कर दिया था। जिसमें मसूद अजहर शामिल था। आज सुबह के हमले में जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक इस मसूद का पूरा परिवार बम से उड़ा दिया गया। अर्थात अटल बिहारी वाजपेई की भयंकर भूल का बदला आज ले लिया गया है। मगर अटलजी की एक और भूल का खामियाजा लेना बाकी है। जब अटलजी प्रधानमंत्री थे तो भारत के दिल्ली में संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकवादी हमला हुआ था। यह हमला करने वाला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन के लोग थे। इस हमले में कुल 14 लोगों की जानें गई थी।इस भाजपाई प्रधानमंत्री ने सेना को आदेश दिया था कि पाकिस्तानी सीमा पर मुस्तैदी से खड़े रहो। मगर अटलजी आदेश देना भूल गए। सीमा पर भारतीय सेना के साथ कई दिनों तक बड़ा वीभत्स मजाक चलता रहा। कांधार और संसद पर हमले वाली घटनाओं पर अपने लिबलिबीपन के बावजूद अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने रहे।ऐसा ही वाकया कांग्रेसी प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह के राज में हुआ था। तब एक पाकिस्तानी आतंकी गिरोह ने (26-29 नवंबर 2008) मुंबई में 166 भारतीयों को मार डाला था और 300 को घायल कर दिया था। अजमल कसाब इस प्रकरण का खलनायक था। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिजलिजेपन से मुंबई के कुछ आतंकी बचे रहे, सिवाय कसाब के। उनके गृहमंत्री शिवराज पाटिल के पास दिन में चार बार सूट बदलने का टाइम तो था। मगर मुंबई के आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही पर शीघ्रता की सोच या जरूरत की भावना नहीं थी। पर वाह रे नरेंद्र मोदी ! जो कहा वो किया। इसीलिए उन्हें देश का सलाम। राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना की समता अंजनी पुत्र बजरंगबली से की जिन्होंने अपनी पूंछ से लंका जला दी थी। एक बात विपक्षी राजनेताओं के बारे में। वे श्रेय सेना को देते हैं। मगर भूल गए सेना को आदेश कौन देता है ? इतनी वैचारिक तुच्छता और डाह मोदी से ? देश कभी भी माफ नहीं करेगा।