महाशिवरात्रि पर अपने साथ-साथ करें कुल का भी उद्धार
Mahashivratri: हर साल फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाए जाने का विधान हिंदू शास्त्रों में वर्णित है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को आ रही है। शिव पुराण के अनुसार इस रोज मां पार्वती और भगवान शिव विवाह विवाह बंधन में बंधे थे। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न एवं संतुष्ट करना सब पापों को नाश करने वाला तथा परम गुणकारी है, जो भी जीव उनके चरणों में प्रणाम करता है भगवान शिव अपने भक्तजनों को मृत्यु आदि विकारों से रहित कर देते हैं। महाशिवरात्रि पर जो भक्त व्रत में स्थित होकर भगवान शिव की आराधना करता है वह न केवल अपने जीवन को सार्थक करता है बल्कि अपने कुल का भी उद्धार कर देता है। मान्यता है की शिव भक्तों का परिवार सदा सुखी व समृद्ध बसता है। अत: शिवलिंग के समक्ष बैठकर इस तरह प्रार्थना करें-
''प्रभो शूल पाणे विभो विश्वनाथ, महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र। शिवाकांत शांत स्मरारे पुरारे, त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।''
हे प्रभो ! हे त्रिशूलपाणे! हे विभो! हे विश्वनाथ! हे महादेव! हे शम्भो! हे महेश्वर! हे त्रिनेत्र! हे पार्वती वल्लभ! हे शांत! हे त्रिपुरारे! अनादि और अनंत परमपावन अद्वैतस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।
बिल्व पत्र भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है, शिव पुराण के अनुसार एक भील द्वारा अनभिज्ञ रहते हुए महा शिवरात्रि की रात्रि में जिस प्रकार शिवलिंग पर बिल्व पत्र गिरा कर पूजा की गई उससे प्रसन्न होकर देवाधिदेव भगवान शंकर खुश हुए और उसका कल्याण मार्ग प्रशस्त किया। यह स्पष्ट करता है कि बिल्व पत्र समस्त पापों को नष्ट करने वाला तथा भगवान शंकर की अनन्य कृपा प्राप्त कराने वाला है। महाशिवरात्रि पर सच्चे समर्पण के भाव से शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाते हुए ॐ नम: शिवाय मंत्र से भगवान शिव कि की गई पूजा सब प्रकार के विघ्नों को हरने वाली तथा परम कल्याणप्रद है। भगवान शिव परमात्मा हैं तथा मां पार्वती आदि शक्तिस्वरूपा प्रकृति हैं, जिनकी कृपा केवल शुद्ध हृदय से की गई भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है।