लखनऊ और कानपुर के बीच अब सफर और भी आसान व तेज होने जा रहा है. नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) की रैपिड रेल परियोजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) से हरी झंडी मिल गई है. इस परियोजना के तहत लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट से कानपुर तक रैपिड रेल दौड़ेगी. ये ट्रेन दोनों शहरों के बीच की दूरी को मात्र 40 से 50 मिनट में तय कर लेगी. यह रेल परियोजना न केवल यात्रियों के लिए फायदेमंद साबित होगी, बल्कि पर्यावरण और क्षेत्रीय विकास को भी इससे बढ़ावा मिलेगा.

NCRTC की एक टीम ने हाल ही में लखनऊ का दौरा कर रैपिड रेल परियोजना के लिए जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने इस प्रोजेक्ट के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर दिया है. LDA के साथ हुई बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि रैपिड रेल का निर्माण लखनऊ की महायोजना के अनुरूप होगा.

कितना बचेगा समय?

रैपिड रेल का रूट अमौसी एयरपोर्ट से शुरू होकर बनी, उन्नाव, जैतीपुर, अजगैन, मगरवारा होते हुए कानपुर के गंगा बैराज तक पहुंचेगा. यह रेल रूट, सड़क और रेलमार्ग के साथ-साथ तैयार किया जाएगा. फिलहाल इस रूट पर सड़क मार्ग से सफर में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं. हालांकि, रैपिड रेल से यह समय घटकर 40 से 50 मिनट रह जाएगा.

कितनी होगी रैपिड रेल की रफ्तार?

यह रैपिड रेल 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेगी और कोहरे या भारी बारिश जैसे मौसम की मार से प्रभावित नहीं होगी. रैपिड रेल को लखनऊ और कानपुर के मेट्रो स्टेशनों से जोड़ा जाएगा. इससे यात्रियों को बिना रुकावट सफर का अनुभव मिलेगा. मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल की तर्ज पर इस रूट पर भी हाई-स्पीड, ऑटोमैटिक डोर, तेज ब्रेकिंग सिस्टम और स्मार्ट टिकटिंग जैसी सुविधाएं होंगी.

कैसा होगा रूट?

रैपिड रेल सड़क यातायात और प्रदूषण को कम करेगी. इससे पर्यावरण को लाभ होगा. रैपिड रेल परियोजना से न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. प्रस्तावित रूट अमौसी से बनी, बनी से जैतीपुर, जैतीपुर से अजगैन और उन्नाव से गंगा बैराज तक होगा.

लखनऊ-कानपुर रैपिड रेल परियोजना क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास के लिए गेम-चेंजर साबित होगी. NCRTC ने कहा कि मेरठ मॉडल की तर्ज पर आधुनिक तकनीक और सुविधाओं के साथ इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने की कोशिश होगी.

कब तैयार हुआ था प्रस्ताव?

इस परियोजना का प्रस्ताव पहली बार 2015 में तैयार हुआ था. 2021 में तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) तैयार करने की बात कही थी. 2022 में शासन स्तर पर हुई बैठक के बाद प्रक्रिया ने गति पकड़ी. हालांकि, कोरोना महामारी के कारण काम में देरी हुई, लेकिन अब यह परियोजना फिर से पटरी पर है.

लखनऊ और कानपुर के बीच हर दिन हजारों लोग सफर करते हैं. यह रैपिड रेल न केवल समय बचाएगी, बल्कि दोनों शहरों के बीच आर्थिक और सामाजिक विकास को भी नई दिशा देगी. अब देखना यह है कि यह परियोजना कब तक धरातल पर उतरती है और यात्रियों को इसका लाभ मिलना शुरू होता है.