भोपाल । प्रदेश के राजगढ़ जिले के सरकारी स्कूल के शिक्षक ने अनूठी मिसाल पेश की है। शिक्षक ने अपने जेब से 80 हजार खर्च कर स्कूल की तस्वीर बदल दी है। दरअसल जिले के छापरीकलां गांव के प्राथमिक स्कूल भवन की हालत जीर्णशीर्ण होकर बदहाल अवस्था में था। साथ ही विद्यार्थियों की संख्या भी महज 8 थी। ऐसे में श्योपुर से ट्रांसफर होकर आए शिक्षक ने स्वयं की वेतन के 80 हजार रुपये खर्च कर न केवल स्कूल का कायाकल्प कर दिया, बल्कि विद्यार्थियों की संख्या भी बढाकर 35 कर दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नरसिंहगढ़ तहसील के छापरीकलां प्राथमिक विद्यालय में दो वर्ष पहले श्योपुर जिले से हिम्मत सिंह मीणा का ट्रांसफर हुआ था। जब वह यहां पदस्थ हुए उस समय स्कूल की दीवारें व भवन जीर्णशीर्ण था। फर्श उखड़ा हुआ था। साथ ही विद्यार्थियों की संख्या भी महज 10 ही थी। ऐसे में मीणा ने स्कूल का कायाकल्प करने की ठानी। उन्होंने बताया कि जब वे अपने पदस्थापना स्थल छापरीकलां प्राथमिक विद्यालय में ज्वाइनिंग देने पहुंचे थे तो स्कूल बहुत खराब स्थिति में था। भवन का प्लास्टर एवं फर्ष जगह-जगह से उखड़ रहा था। बच्चों के बैठने के लिए दरी-टाट पट्टी भी नही थी और छात्रों की संख्या भी महज 10 थीं।प्राथमिक विद्यालय भी बंद होने की कगार में खड़ा था। उन्होंने बताया कि तब उन्हें बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई थी। उन्होंने विद्यालय भवन और कम छात्रों को देखते हुए अपने विद्यालय का कायाकल्प करने की ठानी। ऐसे में सबसे पहले स्कूल के अन्य शिक्षक एवं संस्था प्रभारी सुरेश तिवारी का उन्हें साथ मिला। उन्होंने छापरीकलां के ग्रामीणों को अपनी बात बताई और संकल्प दोहराया। हिम्मत सिंह ने अपने दो माह के वेतन से लगभग 80 हजार रूपये खर्च कर स्कूल भवन की मरम्मत कराई, फर्श सुधरवाया, रंग-रोगन और वाल-पेंटिग तो कराई ही साथ ही वे अपने छात्रों की सुविधाएं जुटाने में भी पीछे नही रहे। वे अपने छात्रों के बैठने के लिए दरी, कापी और पेन-पेंन्सिलें भी लाना नहीं भूले। मीणा ने बताया कि ग्रामीणों की सहायता से लगभग 40 हजार रुपये की और मदद मिलने पर कुर्सी-टेबलों की व्यवस्था भी कर दी। स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ाने ग्राम में जनजागरूकता अभियान चलाया। नतीजन जहां पहले कभी 10 बच्चे पढ़ने आते थे आज वही संख्या बढ़कर 35 हो गई है। शिक्षक हिम्मत सिंह ने बताया कि वह अपने कर्म से कभी पीछे नही हटते हैं। इसमें परिवार के लोग भी उनका पूरा साथ देते है। वे स्वयं अपने बड़े बच्चे का अपने विद्यालय में ही एडमिशन करा कर वही पढ़ा रहे है। छोटा बच्चा अभी 7-8 महीने का है। उन्होंने कहा कि लेकिन जब वह पढ़ने लायक होगा तो उसका एडमिशन भी वे अपने विद्यालय में ही कराएंगे। शिक्षक हिम्मत सिंह एवं सुरेश तिवारी ने चर्चा के दौरान बताया कि स्कूल सिर्फ हमारा है यह सोचने मात्र से विद्यालय अच्छा नहीं हो जाएगा। शिक्षकों और छात्रों को विद्यालय में उत्तम व्यवस्थाओं के लिए उसे अपना नहीं 'मेरा विद्यालय' समझना भी आवश्यक है। एक युवक मेहरबान सिंह वर्मा द्वारा मुख्यमंत्री को ट्वीट करते हुए एक पोस्ट की थी। ये राजगढ़ जिले का प्राथमिक विद्यालय छापरी कलां है जिसे सुंदर बनाने में यहां के एक शिक्षक ने अपने दो माह का वेतन खर्च किया। अगले ट्वीट में कहा कि माननीय से आग्रह है कि गांवों से दूर सीएम राइस स्कूल बनाने की बजाए क्या प्रदेश के गांवों की शालाओं को इसी तरह सुंदर व भव्य बनाने के लिए कोई योजना बनाई जाएगी। इस ट्वीट को दिग्विजय सिंह ने रिट्वीट करते हुए लिखा कि शिक्षक जी के इस प्रयास की जितनी भी प्रशंसा करें उतना कम है। बधाई। शिक्षक को 26 जनवरी के मौके पर सम्मानित नहीं करने को लेकर दिग्विजय सिंह ने जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया है। शाम के समय एक ट्वीट कर कहा कि ऐसा शिक्षक जिसने अपने वेतन से राशि लगाकर अपनी पाठशाला का पुननिर्माण किया उसको गणतंत्र दिवस पर बुला कर सम्मानित नहीं करना उचित नहीं है।